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  • HOW OUR MIND WORKS,WOULD YOU REALLY KNOW ? part -1

    HOW OUR MIND WORKS,WOULD YOU REALLY KNOW ? part -1
    Adventures of the Mind Poster/Character Design

    Lets start

    If we think about our body , We find that our mind is very essential thing .what ever we do in day today life , every thing is is associated or we can say that functioning of that. Here some questions which you should asks to yourself and think on that – Is you really know about mind? What is thought & from where it come. How you can make a new good habit and leave bad one?

    Mind is that part of a human being that thinks, feels, and wills, as contrasted /different with body. Mind is basically categories into three types: 1. Conscious mind 2. Sub-conscious mind and 3. Unconscious mind

    Conscious mind is also known for activeness i.e awake and aware of his surrounding. With the use of conscious mind your mind consciously aware of what you are doing that is you are reading this article. Apart from this with the help of conscious mind you decides what is good/bad ,right/wrong . It is basically decision making mind means it decides which school/college or subject is good for you. Which friend is good/bad one. Which dress suits on you. Conscious mind does everything which you actively wants to do.

    let us understand with an example – when you and your friends went to school first time your mind was very active-it take care of, from where you have to take turn , which path is right .But after months you did not care of ,you are start discussing some thing different like what is going in your school/life i.e your active mind subject is different but you reach correct destination , how it is possible?. Because at this time your another mind start working subsequently this is known as Subconscious mind. In your Subconscious mind that route is recorded so , even though you are not paying attention , your subconscious mind is active , leading the way to your school.

    Rene Descartes’s

    Illustration of dualism. Inputs are passed by the sensory organs to the epiphysis in the brain and form there to the immaterial spirit.

    Dualism is associated with the thought ,which holds that mind is a nonphysical thing- and therefore, not spatial-substance which differentiate it from brain. Brain is basically physical part of your body.

    Thoughts are basically energy( e=hv = mc2) as according to Albert Einstein total energy is conserved, it can only be converted one forms to another, but can not be created or generated so all thoughts which are coming to our mind are already floating around us so a thought is basically what our brain picks up from the environment. Our mind is basically like an antenna so once it is tuned to a particular frequency that thought hits our head.

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  • अपना मन कैसे काम करता है पार्ट्:१

    अपना मन कैसे काम करता है पार्ट्:१

    चलो शुरू करते है:

    यदि हम अपने शरीर के बारे में सोचते है तो हम पाते है की ,हमारा मन बहुत जरूरी चीज है। जो कुछ भी हम दिनचर्या में करते है वो उससे जुड़ी होती है या उसी का कामकाज होता है। यहां पर कुछ प्रश्न है जो कि अपने आप से पूछना चाहिए और उस पर सोचना चाहिए – क्या आप अपने मन के बारे में जानते है? । सोच होती क्या है और वो आती कहा से है?। आप एक नई अच्छी आदत कैसे बना सकते है और बुरी को छोड़ कैसे सकते है?

    मन हमारे शरीर का वह हिस्सा है जिससे हम सोच,आभास और जो हम चाहते हैं वो कर सकते है, जो की इसे हमारे शरीर से अलग बनाता है। मन को मूल्यतः तीन हिस्सों में बटा सकते है: 1. चेतन मन 2. अवचेतन मन 3. अचेतन मन ।

    चेतन मन अपनी सक्रियता के लिए जाना जाता है अर्थात् अपने आस पास के बारे में जगा और जागरूक रहता है। चेतन मन का उपयोग करके जान-बूझकर जागरूक रहते है की आप क्या कर रहे हैं जैसे आप इस समय यह अनुच्छेद/ लेख पढ़ रहे हैं। इसके अलावा चेतन मन से आप यह निर्धारित कर सकते है की क्या अच्छा है और क्या बुरा। चेतन मन निर्णय लेने वाला मन है ,इससे हम निर्णय ले सकते है कौन सा स्कूल/महाविद्यालय या विषय आपके लिए अच्छा है। कौन सा दोस्त अच्छा /बुरा है। चेतन मन आपके लिए वो सब कुछ कार्य है जो की आप सक्रिय रूप से करना चाहते हैं।

    चलो इसे एक उदाहरण से समझते है- जब आप और आपका मित्र पहली बार स्कूल गए ,तो आप का मन बहुत सक्रिय था – यह क्याल रखता है कि , कहां से आपको मुड़ना है, कौन सा रास्ता सही है। लेकिन एक महीने के बाद आप इसका ध्यान नही देते, बल्कि आप कुछ अलग बातो पर चर्चा कर रहे होते है कि स्कूल/ जिंदगी में क्या चल रहा है। अर्थात आपके चेतन मन का विषय कुछ अलग होता है लेकिन आप अपने घर या निश्चित गंतव्य तक पहुंच जाते है, यह कैसे संभव हुआ? क्यों को इस समय आपका दूसरा मन काम करना शुरू कर दिया जिसे हम subconscious/अवचेतन मन के नाम से जानते हैं। आपके अवचेतन मन में वह रास्ता अभिलिखित हो जाता है इसलिए, आपके ध्यान न देने पर भी , आपका अवचेतन मन आपको अपने स्कूल/ घर तक पहुंचा देता है।

    Thought/ सोच

    द्वैतवाद का चित्रण के अनुसार संवेदी अंगों द्वारा मस्तिष्क में एपीफेरस को निविष्ठ किया जाता है और वहा पर अभौतिक मनोवृत्ति बनाती है।

    द्वैतवाद, सोच से संबंध रखता है, जो मानता है कि मन एक अभौतिक चीज है- और इसलिए , यह अ-स्थानिक चीज है जो कि इसे दिमाग/ ब्रेन से अलग करता है। दिमाग हमारे शरीर का भौतिक हिस्सा है।

    सोच मूल रुप से शक्ति/एनर्जी है (e=hv = mc२) , अलबर्ट आइंस्टीन के अनुसार संपूर्ण शक्ति संरक्षित रहती है, यह केवल एक रूप से दूसरे रूप में स्थांतरित/परिवर्तित होती रहती है, लेकिन इसे बनाया नही जा सकता । इसलिए जो सभी सोच हमारे मन में आती है वो सब पहले से ही हमारे चारों तरफ चल रही होती है अतः सोच वास्तव में वही होती है जो पर्यावरण में चल रहा होता है और हमारा मन जिस एक को पकड़ लेता है। हमारा मन मूलतः एक एंटीना की तरह है जिस आवृति को पकड़ लेता है वही सोच हमारे सिर में चलने लगती है।

    Unconscious mind/ अचेतन मन ,एक ऐसी मन की प्रक्रिया होती है जो स्वचालित रूप से होती है और आत्मनिरीक्षण के लिए उपलब्ध नही होती है । इसमें विचार की प्रक्रियाएं, यादें , रुचि और प्रेरणा शामिल होती है। उदाहरण के लिए आपके बचपन के मित्र कि यादें जो की भूल चुके है वह अचेतन मन में चली गई है जब वह आपसे मिलता है तो तब याद आती है।

    यहां याद रखने वाली महत्वपूर्ण बात यह है कि हम अपने आपसे , किसी भी अवचेतन मन की बात को याद नहीं कर सकते , बिना किसी महत्वपूर्ण घटना या तरीका के। यही अचेतन मन है।

    Subconscious mind / अवचेतन मन , इसके दूसरी तरफ , लगभग समान है ,लेकिन सबसे बड़ा अंतर यह है कि इसमें हम याद को चयन कर सकतें हैं। इसमें यादें conscious/ चेतन मन के सतह के पास होती हैं और थोड़ी ध्यान के लगाने से आसानी से पहुंचने योग्य होती हैं।

    कैसे अपने चेतन और अवचेतन मन का उपयोग बुद्धिमानी से करें

    यदि मैं कहूं कि आपका मन यह नहीं जानता की आपके लिए क्या सही है और क्या गलत , आप यह जान कर हतप्रत हो जायेंगे। क्योंकि ज्यादा तर गतिविधियां आपके अवचेतन मन के द्वारा ही नियंत्रित की जाती है और यह नहीं पता लगा पता क्या सही है और क्या गलत, यह काम केवल चेतन मन ही करता है। चेतन मन का मुख्य कार्य 1. अपना ध्यान केंद्रित करने की क्षमता और 2. इसकी कल्पना करने की क्षमता जो वास्तविक नहीं है। इन दोनों कार्यों को यदि आप वास्तव में समझ जाते है तो आप जो आदत बनाना चाहते है बना सकते है और जो आदत छोड़ना चाहते हैं वो छोड़ सकते हैं। आओ समझते है…

    आदत बनाने में: यह केवल चेतन मन ही है जो कि एक जानकारी को लेता है, उस उस पर ध्यान केंद्रित केंद्रित करता है, उस पर कल्पना करता है और उसके बाद निष्कर्ष निकलता है जो नतीजा निकालता है वह अवचेतन मन में जाकर अस्थापित हो जाता है। यदि एक निश्चित जानकारी का नतीजा बिना बदले बार-2 चेतन मन ,अवचेतन मन तक पहुंचता है तो वह आदत बन जाता है ।( आदत बनाने में साधारणतः 21 दिन का समय लगता है)

    इसे कुछ एक उदाहरण से समझते हैं एक आदमी को लेते है जो कि पहली बार धूम्रपान करने जा रहा है आप इसके अलग -2 स्थिति लेते है कि कैसे उसका चेतन मन जानकारी को लेता है ध्यान केंद्रित करता है, कल्पना करता है और कैसे निर्णय निकलता है ।१. पहली स्थिति में वह ऐसे समुदाय में बैठा है जिसमे लोग धुम्रपान करते है और ये उसे उसको कुछ सोच/ विचार देते है जैसे कि धुम्रपान दिमाग को आराम / चिंता को कम कर देता है, प्रसिद्ध लोग भी तो धुम्रपान करते थे जैसे: अलबर्ट आइंस्टीन, जवाहरलाल नेहरु आदि, धुम्रपान करने में कुछ भी बुरा नहीं हैं। अब यदि उस आदमी का चेतन मन उनके कहे अनुसार बात पर ध्यान केंद्रित करता है और यह निष्कर्ष निकलता है कि सुगंध अच्छी है , और इसे करने में कोई गलत बात नही है इसी क्षण चेतन मन द्वारा यह नतीजा अवचेतन मन में संप्रेषित हो जाता है यदि अवचेतन मन में यही निष्कर्ष बार-2 जाता है तो यह आदत बन जाती है। इसके बाद अवचेतन मन इसे बार बार करने के लिए स्वतः हो प्रेरित करेगा आपको इसलिए किसी बाहरी प्रेरणा की जरूरत नही पड़ेगी।

    २. दूसरे स्थित में यदि उसका चेतन मन का ध्यान और कल्पना इस बात पर है कि – धुम्रपान से कैंसर हो सकता है, फेफड़ो की बीमारी और विकार , इसका सुगंध बहुत खराब है, इससे दीर्घकालिक बीमारियां होती है। इस समय भी नतीजा चेतन मन से , अवचेतन और अचेतन मन तक जाएगा परंतु इस बात ध्यान केंद्रित और कल्पना अलग विचार/सोच पर है कि – क्यों धूम्रपान नहीं करना चाहिए ।यदि यही नतीजा चेतन मन से बार बार प्रेषित होगा तो यह भी एक आदत का निर्माण करेगी, यह होगी – क्यों धूम्रपान नहीं करना

    कुछ आदत : शराब पीने की, ड्रग्स की लत, जुआ की ,पढ़ने की, प्रति दिन व्यायाम करने की, जिंदगी में समय की पाबन्दी की, योगा और ध्यान से मन को केंद्रित करने की । ये सब कुछ अच्छी और खराब आदतों को लिस्ट है। इनमे से कुछ को छोड़ना चाहते होंगे और कुछ तो बनाना ।ऊपर बताए हुए तरीके से आप कुछ को छोड़ सकते है तो वही कुछ अच्छी आदत को बना भी सकतें हैं।

    मैं पहले ही बता चुका हूं कि आपका अवचेतन और अचेतन मन ,आपके शरीर और समाज के लिए क्या सही है और क्या गलत है वो नहीं जानता। अवचेतन मन और अचेतन मन केवल अंतर्ज्ञान/प्रेरित करता है और आपक शरीर उसका अभिनय करता है। यह तब तक होता रहता है जब तक कि चेतन मन क्रियाशील नही हो जाता । इसका परिणाम निश्चित रूप से किसी के भी जीवन को प्रभावित करता है।

    और अच्छी समझ के लिए मैं इसका पार्टी-2 लिख सकता हूं । यदि आप लोगो का अच्छा सहयोग मिला तो ।

    मैने इसका इंग्लिश संस्करण पहले ही अपलोड कर दिया है आप उसे भी देख सकते है।